नेपाल हिंसा में 22 की मौत, पीएम ओली का इस्तीफा; भारत ने सीमाएं की सील, हाई अलर्ट पर कई राज्य नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ जनआंदोलन अब हिंसक रूप ले चुका है। देशभर में भड़की हिंसा में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल बताए जा रहे हैं। भारी विरोध के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया है।
स्थिति बिगड़ने के चलते नेपाल की राजधानी काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। एयर इंडिया और इंडिगो ने काठमांडू जाने वाली अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं।
नेपाल में जारी संकट का असर अब भारत की सीमाओं तक पहुंच गया है। बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से सटी 1,751 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सशस्त्र सीमा बल (SSB) और स्थानीय पुलिस चौबीसों घंटे निगरानी में जुटी हैं।
बिहार के किशनगंज जिले में नेपाल सीमा के पास मंगलवार को कुछ आंदोलनकारी आगजनी करते हुए भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे। SSB ने त्वरित कार्रवाई कर उन्हें खदेड़ दिया। किशनगंज के एसपी सागर कुमार ने SSB के साथ गलगलिया क्षेत्र का दौरा कर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की।
बिहार के सात सीमावर्ती जिलों—पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज—को विशेष हाई अलर्ट पर रखा गया है। जोगबनी और सिकटी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारतीय वाहनों की नेपाल में आवाजाही रोक दी गई है।
उत्तर प्रदेश में सोनौली, ठूठीबारी, बढ़नी, खुनुआ और ककरहवा जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को अभूतपूर्व रूप से कड़ा कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा एजेंसियों को 24 घंटे सतर्क रहने का आदेश दिया है। बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती में ड्रोन से निगरानी और फ्लैग मार्च शुरू कर दिए गए हैं।
उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल की सीमाओं पर भी SSB और पुलिस की संयुक्त गश्त बढ़ा दी गई है। नेपाल में फंसे भारतीयों के लिए भारत सरकार ने हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। सीमा पार व्यापार और पर्यटन पूरी तरह से बंद है। नेपाली नागरिकों को भी भारत में प्रवेश के लिए सख्त जांच से गुजरना पड़ रहा है। भारत के विभिन्न बॉर्डर प्वाइंट्स पर लंबी कतारें और तनावपूर्ण माहौल देखा जा रहा है।
नेपाल में हालिया बैन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शुरू हुए इस आंदोलन ने लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, पड़ोसी देश में अस्थिरता भारत के लिए रणनीतिक और सुरक्षा दोनों ही दृष्टियों से गंभीर चुनौती बन सकती है। भारत सरकार ने नेपाल में फंसे नागरिकों से संयम बरतने और नजदीकी भारतीय दूतावास से संपर्क करने की अपील की है।