दिल्ली के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटरों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। दिल्ली के 5 प्रमुख सरकारी अस्पतालों में कुल 297 वेंटिलेटरों में से लगभग 92 यानी 31% वेंटिलेटर खराब हैं। LNJP अस्पताल मे यहां एनेस्थीसिया, मेडिसिन और पीडियाट्रिक्स विभागों में 70 से अधिक वेंटिलेटर खराब हैं। वार्ड नंबर 32 में 12 में से कोई भी वेंटिलेटर काम नहीं कर रहा है।मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) मे प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में 41 में से 39 वेंटिलेटर काम कर रहे हैं, यानी लगभग 95% कार्यशील हैं।लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल 13 वेंटिलेटरों में से सिर्फ 1 खराब है। ICU के सभी 9 वेंटिलेटर कार्यशील हैं।सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर इमरजेंसी यूनिट के दोनों वेंटिलेटर काम कर रहे हैं। ICU के 14 में से 2 वेंटिलेटर खराब हैं, यानी लगभग 86% कार्यशील हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश खराब वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड से प्राप्त किए गए थे। इनमें से कम से कम 41 वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं। कुछ वार्डों में तो पूरे सेट ही खराब पड़े हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अस्पतालों से पुष्टि करने पर उन्होंने पाया कि सभी वेंटिलेटर काम कर रहे हैं। कुछ बैकअप के तौर पर रिजर्व रखे गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि कुछ वेंटिलेटर अस्थायी रूप से काम न कर रहे हों। मंत्री ने दावा किया कि सब कुछ ठीक से दर्ज है और जमीनी स्तर पर सब सही है।
इसके अलावा, गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल और लोक नायक अस्पताल में सिर्फ एक-एक MRI मशीन ही काम कर रही है, जिससे मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटरों की खराब स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है। विशेष रूप से आपातकालीन और आईसीयू वार्डों में वेंटिलेटरों की उपलब्धता और कार्यशीलता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। सरकार को इन उपकरणों की मरम्मत और रख-रखाव पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें।