पटना। बिहार विधानसभा में चुनकर आए 66 फीसदी विधायकों पर अब तक किसी न किसी प्रकार का क्रिमिनल केस दर्ज है। यह खुलासा हालिया आंकड़ों और चुनाव आयोग की रिपोर्ट में सामने आया है। इस डेटा के अनुसार, बिहार विधानसभा में अपराधी प्रवृत्ति वाले नेताओं की संख्या पिछले चुनावों की तुलना में बढ़ी है, जिससे राजनीति और कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के चयन में क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले लोगों को प्राथमिकता देना गंभीर चिंता का विषय है। इससे जनता के विश्वास और लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख पर असर पड़ सकता है।
चुनाव आयोग और एनजीओज इस मामले में सक्रिय हैं और वे विधायकों के प्रदर्शन और पृष्ठभूमि की नियमित निगरानी कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति बिहार में राजनीतिक सुधार और वोटर जागरूकता के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकती है।
विधानसभा में 66 फीसदी MLAs पर केस होने के बावजूद, राजनीतिक दल अक्सर ऐसे नेताओं को चुनाव मैदान में उतारते रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या कानून और राजनीति में संतुलन बनाए रखना संभव है।