उत्तराखंड सरकार ने राज्य में पर्यावरण संरक्षण और रेवेन्यू बढ़ाने के उद्देश्य से एक बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य की सीमाओं में प्रवेश करने वाले बाहरी वाहनों पर ‘ग्रीन सेस’ (Green Cess) लगाया जाएगा। इस पहल से सरकार को अनुमानित 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रेवेन्यू प्राप्त होगा। यह टैक्स विशेष रूप से उन वाहनों पर लागू होगा जो पर्यटन, लॉजिस्टिक्स, व्यापार या निजी यात्रा के लिए उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं।
उत्तराखंड की सीमाओं पर अब बाहरी राज्यों के वाहनों से ग्रीन सेस वसूला जाएगा।सेस की दरें वाहनों की श्रेणी (कार, बस, टूरिस्ट वैन, ट्रक आदि) के आधार पर तय होंगी।पर्यावरण पर पड़ रहे दबाव को कम करने के लिए यह शुल्क सीधे ईको-फंड में जमा होगा, जिसका उपयोग सड़क, वन संरक्षण और कचरा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा।
वार्षिक रेवेन्यू में लगभग150 Crore वृद्धि की उम्मीद। पर्यटन सीजन के दौरान वाहन एंट्री से सबसे अधिक आमदनी होगी।
यह धनराशि पर्यावरणीय ढांचे को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल की जाएगी।उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए यात्रा थोड़ी महंगी हो सकती है। स्थानीय व्यवसाय जैसे होटल, टैक्सी ऑपरेटर और टूर कंपनियों पर सीमित प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन सरकार का मानना है कि स्वच्छ पर्यावरण से पर्यटन को लंबे समय में बढ़ावा मिलेगा।राज्य के निवासियों के निजी वाहनों पर यह सेस लागू नहीं होगा ।
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि उत्तराखंड जैसी संवेदनशील हिमालयी बेल्ट में बढ़ते वाहनों और प्रदूषण को नियंत्रित करना जरूरी है। ग्रीन सेस से न केवल प्रदूषण नियंत्रण होगा बल्कि प्रकृति संरक्षण परियोजनाओं के लिए ठोस वित्तीय आधार भी मिलेगा।
ऑनलाइन सिस्टम के जरिए सेस कलेक्शन की तैयारी। ई-टोल बूथ और मोबाइल एप के माध्यम से भुगतान की सुविधा।
देहरादून, नैनीताल, ऋषिकेश, हरिद्वार और मसूरी जैसे प्रमुख एंट्री पॉइंट्स पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना।
