सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु या दिव्यांगता पर कुशल श्रमिक की तरह मिलेगी क्षतिपूर्ति

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन दुर्घटना मामलों में एक ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अब यदि कोई बच्चा सड़क दुर्घटना में घायल होता है या स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाता है, तो मुआवजे की गणना उसे “गैर-आय अर्जित” मानकर नहीं की जाएगी, बल्कि कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के आधार पर की जाएगी।

यह फैसला विशेष रूप से उन मामलों में लागू होगा, जहां बच्चे की मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी दिव्यांगता का शिकार हो जाता है। अब तक इन मामलों में मुआवजा काल्पनिक आय (नोशनल इनकम) के आधार पर मिलता था, जो लगभग ₹30,000 प्रतिवर्ष होती थी। लेकिन अब इस नियम में बड़ा बदलाव किया गया है।


मध्य प्रदेश के मामले से शुरू होकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची लड़ाई

यह फैसला मध्य प्रदेश के इंदौर निवासी एक बच्चे हितेश पटेल के मामले में सुनाया गया। 14 अक्टूबर 2012 को हितेश अपने पिता के साथ सड़क किनारे खड़ा था, तभी एक वाहन ने टक्कर मार दी, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं और वह स्थायी रूप से दिव्यांग हो गया।

हितेश के परिवार ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में ₹10 लाख का मुआवजा मांगा। जिला न्यायालय ने ₹3.90 लाख का मुआवजा तय किया, जबकि हाईकोर्ट ने इस राशि को बढ़ाकर ₹8.65 लाख कर दिया। लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो वहां से ₹35.90 लाख का मुआवजा निर्धारित किया गया।


सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:

  • बच्चों को ‘गैर-आय अर्जित’ नहीं माना जा सकता।
  • मुआवजे की गणना अब राज्य के कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के आधार पर होगी।
  • यदि दावेदार न्यूनतम वेतन संबंधी दस्तावेज पेश नहीं करता, तो यह जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होगी।
  • यह फैसला सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को भेजा जाएगा ताकि इसका सख्ती से पालन हो।

वर्तमान में न्यूनतम वेतन कितना है?

मध्य प्रदेश में वर्तमान में कुशल श्रमिक का न्यूनतम वेतन है:

  • ₹14,844 प्रति माह
  • ₹495 प्रति दिन