इंदौर: आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक परिवार के लिए तब और बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई, जब परिवार के मुखिया गोविंद पैवाल की कुत्ते के काटने से हुई मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे। यह घटना इंदौर में प्रशासन और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठा रही है। गोविंद की मौत रैबीज से हुई थी। परिवार पुल के नीचे रहता है और रोजमर्रा का जीवन भी मुश्किल से चलता है। उनकी इस हालत को देखते हुए एक एनजीओ ने शव वाहन और अंतिम संस्कार में मदद कर मानवीयता की मिसाल पेश की।
पत्नी ने अंतिम समय तक की सेवा
मृतक गोविंद की पत्नी संगीता ने बताया कि उनके पति को कुत्ते ने चेहरे पर काटा था, जिसके कारण रैबीज का वायरस तेजी से उनके मस्तिष्क तक पहुंच गया। डॉक्टरों ने पहले ही बचने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन इसके बावजूद संगीता ने एमवाय अस्पताल की आइसोलेटेड यूनिट में अपने पति की पूरी देखभाल की। पति के दर्द और दौरों के बीच भी वह उनके साथ रहीं। गोविंद के निधन के बाद परिवार के सामने रोज़ के खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है। उनके दो बेटे और एक शादीशुदा बेटी है। गोविंद पहले नगर निगम के ठेकेदार के अधीन और बेलदारी का काम करते थे।
तेजी से फैला वायरस, अधूरी रही वैक्सीन
सरकारी हुकुमचंद अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. आशुतोष शर्मा ने बताया कि एंटी रेबीज के तीन डोज लगने के बाद ही शरीर में एंटीबॉडी बनती है। गोविंद को कुत्ते ने होंठ और चेहरे पर काटा था, जो कि एक बेहद संवेदनशील हिस्सा है। इस वजह से वायरस तेजी से शरीर में फैल गया। डॉ. शर्मा के अनुसार, गोविंद ने तीन इंजेक्शन लगवाए थे, लेकिन चौथा डोज नहीं लगवाया, जो उनकी मौत का कारण बन सकता है। उन्होंने बताया कि कुत्ते के काटने के तुरंत बाद सभी पांचों डोज समय पर लेना बेहद जरूरी है, क्योंकि जरा सी भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
शहर में डॉग बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे
इस घटना ने इंदौर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे होने वाले हादसों पर प्रशासन की जिम्मेदारी को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, नगर निगम द्वारा कुत्तों की नसबंदी और उनके नियंत्रण के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। हुकुमचंद अस्पताल में रोजाना 150 से अधिक और हर महीने 4 हजार से ज्यादा डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे हैं। अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने वालों की लंबी कतार लगी रहती है। डॉ. शर्मा ने कहा कि डॉग बाइट के मामलों में बढ़ोतरी के साथ हर महीने एक-दो मरीज रेबीज के भी सामने आ रहे हैं।
फिलहाल, गोविंद पैवाल का परिवार प्रशासन से मदद की उम्मीद कर रहा है। परिवार का सहारा छिन जाने के बाद उनके सामने जीवनयापन की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।