नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक, 16 की मौत; संसद में पहली बार घुसे प्रदर्शनकारी

काठमांडू: नेपाल में सोमवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं और सुरक्षाबलों के बीच हुई हिंसक झड़प में 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए हैं। पुलिस ने इन मौतों की पुष्टि की है। इस विरोध प्रदर्शन की अगुआई Gen-Z (18 से 30 साल) के युवा कर रहे हैं, जो सरकार के सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार से नाराज़ हैं।

संसद भवन में घुसपैठ का पहला मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 12 हजार से अधिक प्रदर्शनकारी युवा सोमवार सुबह बैरिकेड्स तोड़कर संसद भवन परिसर में घुस गए। नेपाल के इतिहास में यह पहली बार है जब प्रदर्शनकारियों ने संसद में इस तरह घुसपैठ की है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना ने कई राउंड फायरिंग की, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट नंबर 1 और 2 पर भी कब्जा कर लिया।

हिंसा के बाद कर्फ्यू और ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश

संसद भवन में प्रदर्शनकारियों की घुसपैठ और हिंसक झड़पों के बाद काठमांडू प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। संसद भवन के साथ-साथ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास के आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वाले लोगों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी कर दिए हैं।

क्यों भड़के युवा?

इस प्रदर्शन का मुख्य कारण 3 सितंबर को नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध है। सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया साइट्स को बैन कर दिया था, क्योंकि उन्होंने देश के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। मंत्रालय ने इसके लिए 28 अगस्त से 7 दिन की समय सीमा दी थी। इस फैसले के बाद से ही युवा वर्ग में सरकार के प्रति भारी गुस्सा था, जो सोमवार को एक बड़े प्रदर्शन के रूप में सामने आया।

प्रदर्शन में अब तक 16 की मौत

इस हिंसक झड़प के बाद इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर लाए गए 6 लोगों की मौत हो गई। ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर दीपेंद्र पांडे ने बताया कि वहां लाए गए छह लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। उन्होंने यह भी बताया कि 10 मरीजों की हालत बेहद नाजुक है, जिन्हें सिर और सीने में गोली लगी है। इनके अलावा 20 से अधिक घायलों का इलाज जारी है।

इसके अलावा, सिविल अस्पताल में भी दो लोगों की मौत हुई है। सिविल अस्पताल के कार्यकारी निदेशक मोहन चंद्र रेग्मी ने बताया कि भर्ती कराए गए 2 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, केएमसी और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग हॉस्पिटल में 1-1 शख्स की मौत हुई है।

संसद भवन में घुसपैठ का पहला मामला

प्रदर्शनकारी युवा सरकार के सोशल मीडिया बैन के फैसले से खासे नाराज हैं। सोमवार को 12 हजार से अधिक प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़कर संसद भवन परिसर में घुस गए, जिसे रोकने के लिए सेना ने कई राउंड फायरिंग की। नेपाल के इतिहास में यह पहली बार है जब प्रदर्शनकारियों ने संसद में घुसपैठ की है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है और तोड़फोड़ करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी कर दिए हैं।

नेपाली हस्तियों ने किया युवाओं का समर्थन

इस बीच, नेपाल के कई मशहूर सेलिब्रिटीज ने सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारी युवाओं का समर्थन किया है। मशहूर एक्टर मदन कृष्ण श्रेष्ठ और हरि बंश आचार्य ने फेसबुक पर अपनी बात रखी।

हरि बंश आचार्य ने युवाओं की तारीफ करते हुए कहा कि वे सिर्फ सोचते नहीं, बल्कि सवाल पूछते हैं। उन्होंने लिखा, “मैं रोज़ सोचता था कि यह सड़क इतनी जल्दी क्यों खराब हो गई। लेकिन युवा सिर्फ सोचते नहीं, सवाल पूछते हैं… युवा सिस्टम के खिलाफ नहीं, बल्कि नेताओं की गलतियों के खिलाफ हैं।” उन्होंने नेताओं से युवाओं को जिम्मेदारी देने की अपील की।

मदन कृष्ण श्रेष्ठ ने लिखा, “मैंने नेपाल के हर दौर को देखा है। यहाँ आवाजें दबाई गईं, भाई-भतीजावाद बढ़ा, और सत्ता का लालच चरम पर है। हर दिन हजारों युवा विदेश काम करने को मजबूर हैं। भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है… युवा देश का भविष्य हैं, और उनके सपने नेपाल के सपने हैं।” उन्होंने कहा कि लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है और भ्रष्ट अधिकारियों को जवाब देना होगा।