पीड़ित परिवारों ने 10 सितंबर 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसमें सभी आरोपियों की बरी को चुनौती दी गई. अपील में आरोप लगाया गया कि एनआईए ने एटीएस द्वारा खोजे गए महत्वपूर्ण सबूत पेश नहीं किए.स्पेशल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए छह परिवारों ने मांग की थी कि इसे रद्द किया जाना चाहिए. 29 सितंबर 2008 में मालेगांव में एक मस्जिद के नजदीक मोटरसाइकल में विस्फोट हो गया था.
यह मामला मालेगांव बम विस्फोट से जुड़ा है, जिसमें 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में बम विस्फोट हुआ था, जिससे 6 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। यह केस शुरू से ही राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी संवेदनशील रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि इसमें कुछ हिंदू संगठनों और नेताओं के नाम सामने आए थे, जिनमें बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम प्रमुख है।10 सितंबर 2025 को पीड़ितों के परिजनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दाखिल की, जिसमें उन्होंने एनआईए कोर्ट द्वारा सभी 7 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी।
परिजनों का कहना है कि एनआईए ने जानबूझकर उन महत्वपूर्ण सबूतों को कोर्ट के सामने पेश नहीं किया जो पहले एटीएस द्वारा इकट्ठा किए गए थे।बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें मुख्य न्यायमूर्ति चंद्रशेखर औरन्यायमूर्ति गौतम अंखड शामिल थे, ने सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवारों के वकीलों को फटकार लगाई। हाईकोर्ट अब यह तय करेगा कि अपील स्वीकार की जाए या नहीं। अगर कोर्ट अपील स्वीकार करता है, तो फिर से आरोपियों पर मुकदमा चल सकता है या कम से कम जांच की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।