राजधानी भोपाल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था चरमराई हुई है। पिछले एक साल में ढाई सौ से ज्यादा सिटी बसें बंद हो चुकी हैं, जिससे हजारों यात्रियों को रोजाना भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में शहर की सड़कों पर 368 बसों में से केवल 95 बसें ही संचालित हो रही हैं। कई महत्वपूर्ण रूटों पर बस सेवा पूरी तरह ठप है। हालांकि, अब नगर निगम का दावा है कि नए साल से राहत मिलने वाली है। निगम के अनुसार जनवरी 2026 से भोपाल में 100 नई ई-बसें दौड़ने लगेंगी।
ई-बस सेवा के लिए नए डिपो और ऑपरेटर तय
पीएम ई-बस सेवा के पहले चरण में भोपाल को 100 ई-बसें मिलेंगी। इसके लिए संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) और कस्तूरबा नगर में नए बस डिपो तैयार किए जा रहे हैं। बस संचालन के लिए नए ऑपरेटर का चयन भी कर लिया गया है। वहीं, दूसरे चरण में 95 और ई-बसें भोपाल को मिलेंगी। इसके लिए आरिफ नगर और कोलार रोड पर डिपो बनाए जाएंगे।
सांसद और विधायकों ने जताई चिंता
मंगलवार को जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में भी सिटी बसों का मुद्दा उठा। सांसद आलोक शर्मा ने निगम अधिकारियों से सवाल किया कि आखिर 368 में से केवल 95 बसें ही क्यों चल रही हैं? जबकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को और मजबूत करना समय की जरूरत है। विधायक भगवानदास सबनानी ने भी इस पर सहमति जताई।
सांसद शर्मा ने कहा कि भोपाल की बस सेवा को और मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने याद दिलाया कि जब वे भोपाल के महापौर थे, तब छात्र-छात्राओं, दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को ‘महापौर स्मार्ट पास’ का लाभ मिलता था। उन्होंने सुझाव दिया कि इस सुविधा को दोबारा शुरू किया जाना चाहिए।
क्यों बंद हो गईं ढाई सौ बसें?
पिछले एक साल में करीब 250 सिटी बसें बंद हो गईं। इसकी बड़ी वजह टिकट कलेक्शन को लेकर विवाद और ऑपरेटर्स व ‘चलो एप’ कंपनी के बीच मतभेद रहे। एजेंसियों का आरोप था कि टिकट कलेक्शन से मिलने वाली राशि कम कर दी गई, जबकि संचालन लागत लगातार बढ़ रही है। मामला कोर्ट तक पहुंच गया और कई ऑपरेटरों ने बसें चलाना बंद कर दिया।
पहले चार एजेंसियां चलाती थीं बसें
भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) के माध्यम से पहले 4 एजेंसियां—मां एसोसिएट्स, एपी मोटर्स, श्री दुर्गांबा और आई-मोबिलिटी—बसों का संचालन करती थीं। इनमें से मां एसोसिएट्स ने सबसे पहले जुलाई 2024 में 149 बसों का संचालन बंद किया था। इसके बाद अन्य एजेंसियां भी धीरे-धीरे पीछे हटती चली गईं।
जरूरत से आधी बसें ही चल रही
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भोपाल जैसे शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए कम से कम 800 सिटी बसों की जरूरत है। फिलहाल मात्र 95 बसें ही दौड़ रही हैं, जिससे रोजाना करीब एक लाख यात्री प्रभावित हो रहे हैं। छात्रों, महिलाओं और नौकरीपेशा लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है।