अटारी स्टेशन में आम नागरिकों का प्रवेश वर्जित, बिना पासपोर्ट-वीज़ा पहुंचे तो हो सकती है गिरफ्तारी

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे पंजाब के अटारी रेलवे स्टेशन पर सामान्य नागरिकों का प्रवेश सख्ती से प्रतिबंधित है। यहां आने वाले यात्रियों को पासपोर्ट और पाकिस्तान का वीज़ा अनिवार्य रूप से दिखाना पड़ता है। यह स्टेशन अंतरराष्ट्रीय सीमा नियंत्रण क्षेत्र में स्थित है, इसलिए बिना वैध दस्तावेज़ों के प्रवेश करना कानूनन अपराध माना जाता है।

रेलवे और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकारियों के अनुसार, यह इलाका अत्यंत संवेदनशील है और यहां प्रवेश केवल उन्हीं लोगों को दिया जाता है जो पाकिस्तान के लिए ट्रेन यात्रा करने वाले यात्री हैं।

बिना अनुमति के प्रवेश करने पर भारतीय रेलवे अधिनियम और फॉरेन एक्ट की धारा 14 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और गिरफ्तारी भी संभव है। यहां तक कि कुलियों या स्थानीय कामगारों को भी बिना वैध पास या वीज़ा के प्रवेश की अनुमति नहीं है।

ब्रिटिश काल में निर्मित अटारी रेलवे स्टेशन का उद्देश्य कभी भारत को लाहौर और आगे अफगानिस्तान से जोड़ना था। लेकिन आजादी के बाद यह भारत का अंतिम सीमा स्टेशन बन गया। पाकिस्तान का वाघा रेलवे स्टेशन यहां से केवल 3 किलोमीटर की दूरी पर है। हर दिन हजारों पर्यटक इसी क्षेत्र में वाघा-अटारी बॉर्डर पर होने वाली Beating The Retreat Paradeदेखने आते हैं।

2019 में भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बढ़ने के बाद समझौता एक्सप्रेस सेवा स्थगित कर दी गई थी। हालांकि, अटारी स्टेशन आज भी सीमा पार यात्रा नियंत्रण बिंदु के रूप में कार्यरत है। यहां टिकट बुक करने के लिए पासपोर्ट नंबर देना अनिवार्य है। पहले यह स्टेशन समझौता एक्सप्रेस के संचालन के लिए ही खुलता था।

दिलचस्प बात यह है कि जब ट्रेन विलंब से चलती थी, तो भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के रजिस्टर में ट्रेन “एंटी” के रूप में दर्ज होती थी।वर्तमान में यहां दिल्ली-अटारी एक्सप्रेस अमृतसर-अटारी डीईएमयू, और जबलपुर-अटारी स्पेशल ट्रेन जैसी सेवाएं तो हैं, लेकिन इनमें से कोई भी अटारी-लाहौर लाइन से होकर नहीं गुजरती।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अटारी रेलवे स्टेशन के आसपास का इलाका भले ही भारतीय सीमा में आता है, पर सुरक्षा इतनी कड़ी है कि बिना अनुमति कोई प्रवेश नहीं कर सकता। कभी यह इलाका ट्रकों और मालवाहक गतिविधियों से गुलज़ार रहता था, लेकिन अब माहौल बदल गया है।

2012 में यहां भारत का पहला भूमि बंदरगाह स्थापित किया गया था ताकि भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार और यात्रियों की आवाजाही को बढ़ावा दिया जा सके। मगर फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र(MFN) का दर्जा वापस ले लिया और पाकिस्तानी सामानों पर 200 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया। इसके बाद व्यापार लगभग ठप पड़ गया।

अगस्त 2019 में जब भारत ने अनुच्छेद 370 हटाया, तो पाकिस्तान ने भारत से सभी व्यापारिक संबंध समाप्त कर दिए। इस निर्णय का असर स्थानीय व्यापार और रोजगार पर बुरा पड़ा है। अटारी का इलाका, जो कभी सीमापार व्यापार का प्रमुख केंद्र था, अब लगभग वीरान पड़ गया है।

अटारी स्टेशन आज भारत की सीमाई सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण का प्रतीक बन चुका है। यह केवल एक रेलवे स्टेशन नहीं, बल्कि भारत-पाक संबंधों के इतिहास, तनाव और सुरक्षा नीति का जीवंत उदाहरण है।