जर्मनी की राजनीतिज्ञ, वर्तमान में यूरोपीय आयोग की अध्यक्रोपीय संघ आर्थिक, डिजिटल, रक्षा एवं जलवायु नीतियों में अग्रणी है और वॉन डेर लेयेन इसकी भूमिका में अहम भूमिका निभा रही हैं उनके आमंत्रण से भारत-यूरोप संबंधों में “डिजिटल अर्थव्यवस्था”, “हरित ऊर्जा अधिक मुखर होंगे।
पुर्तगाल के पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष। यूरोप में नीति-निर्धारण एवं साझेदारी में उनका अनुभव गहरा है, और भारत-यूरोप समवेत हितों को आगे ले जाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारत द्वारा उन्हें आमंत्रित करना संकेत देता है कि यूरोपीय नेतृत्व के साथ भारत ‘समय-सहयोगी’ संबंधों को उच्च प्राथमिकता दे रहा है।
इस निर्णय से भारत की वैश्विक कूटनीति में मजबूती आएगी विशेषकर यूरोप-मध्यस्थ सहयोग के क्षेत्र में।रक्षा, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल टेक्नोलॉजी एवं समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में नए समझौतों की संभावना खुल सकती है।तिरंगे के नीचे आयोजित इस समारोह में यूरोप के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी से भारत की छवि “वैश्विक मध्यक के रूप में और बेहतर बनेगी।
साथ ही यह संकेत है कि भारत अब परंपरागत ‘एक अतिथि’ मॉडल से हटकर संयुक्त अतिथि मॉडल भी अपनाने को तैयार है, जो भविष्य की वैश्विक चुनौतियों और साझेदारियों को दर्शाता है।
भारत सरकार द्वारा इस आमंत्रण के लिए जारी आधिकारिक घोषणा और उसके संबद्ध डिप्लोमैटिक नोटिस। दोनों अतिथियों के भारत आगमन, कार्यक्रम स्वरूप, मुख्य समारोह में उनका भाग-भाग लेना।इस निर्णय का प्रतिक्रिया भारत, यूरोपीय संघ और अन्य विदेशी पूरक देशों में राजनीतिक, जनता एवं मीडिया की प्रतिक्रियाएँ।
