बिहार चुनाव में महिला वोट निर्णायक हुआ तो नीतीश कुमार भारी पड़ेंगे

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इस बार चुनावी समीकरणों में सबसे अहम भूमिका महिलाओं के वोट की मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में आते हैं, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह स्थिति लाभदायक साबित हो सकती है।

नीतीश कुमार ने अपने लंबे कार्यकाल में महिलाओं के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिनमें **मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना,आरक्षण के तहत पंचायतों में 50% भागीदारी साइकिल योजना,शराबबंदी, और ,स्कॉलरशिप स्कीम, जैसी पहल विशेष रूप से शामिल हैं। इन योजनाओं ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।

चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार, बिहार में महिला मतदाता पुरुषों से अधिक संख्या में मतदान केंद्रों तक पहुंच रहे हैं, और ऐसे में उनका समर्थन किसी भी दल की जीत या हार तय कर सकता है। अगर महिला वोट एकजुट होकर किसी पक्ष में पड़ते हैं, तो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को मजबूत आधार मिल सकता है।

हालांकि, विपक्ष का कहना है कि शराबबंदी और महंगाई जैसे मुद्दों ने महिलाओं के जीवन में कई तरह की कठिनाइयाँ भी पैदा की हैं। महिला मतदाता अब सिर्फ योजनाओं से नहीं, बल्कि रोजगार, सुरक्षा और शिक्षा जैसे मुद्दों पर वोट करने की सोच रही हैं।

चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि महिला वोट इस बार केवल सांख्यिकीय नहीं, बल्कि चुनाव का निर्णायक फैक्टर बन सकता है। इसलिए सभी राजनीतिक दल महिला वर्ग को साधने के लिए रैलियों, घोषणाओं और वादों का सहारा ले रहे हैं।

बिहार चुनाव में महिला वोटर बनेगे गेम चेंजर, नीतीश कुमार की महिलाओं के लिए योजनाएं उनके पक्ष में माहौल बना सकती हैं.विपक्ष शराबबंदी, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे उठा रहा है,महिला मतदाता विकास और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही हैं
सभी दल महिला वोट को टारगेट कर रहे हैं