यह फैसला उस समय आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इज़रायल से तत्काल बमबारी बंद करने का आग्रह किया और गाज़ा में बंधकों की रिहाई के लिए अपनी शांति योजना पेश की। रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रंप के आग्रह से नेतन्याहू हैरान रह गए, लेकिन अंततः उन्हें अभियान को रोकने का निर्णय लेना पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रंप के प्रयास का स्वागत करते हुए कहा कि “गाज़ा में शांति प्रयासों में निर्णायक प्रगति के लिए हम राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व का स्वागत करते हैं। बंधकों की रिहाई के संकेत एक महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत स्थायी और न्यायसंगत शांति की दिशा में सभी प्रयासों का दृढ़ता से समर्थन करता रहेगा।
नेतन्याहू के दफ़्तर ने बयान में कहा है कि इज़रायल “पूर्ण सहयोग” के साथ ट्रंप की योजना के पहले चरण को लागू करने की तैयारी कर रहा है। यह घोषणा ट्रंप के एक बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हमास अब ‘स्थायी शांति’ के लिए तैयार है और बंधकों की सुरक्षित रिहाई के लिए तुरंत युद्धविराम जरूरी है।
हमास ने ट्रंप की शांति योजना के कुछ हिस्सों पर सहमति जताई है और कहा है कि वह सभी बंधकों को रिहा करने और गाज़ा की सत्ता को किसी स्वतंत्र फिलिस्तीनी निकाय को सौंपने के लिए तैयार है।हालांकि संगठन ने स्पष्ट किया कि कई अहम बिंदुओं पर अभी बातचीत बाकी है।
हमास के वरिष्ठ नेता मुसा अबू मरजूक ने अल जज़ीरा को बताया कि “यह योजना बिना विस्तृत बातचीत के लागू नहीं हो सकती” और सभी कैदियों के शव तीन दिनों में सौंपना व्यावहारिक नहीं है। संगठन ने यह भी कहा कि गाज़ा के भविष्य और फिलिस्तीनी अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर फैसला एक ‘सर्वसम्मत फिलिस्तीनी रुख’ और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर होना चाहिए। हमास के आधिकारिक बयान में हथियार डालने का कोई उल्लेख नहीं है — यह इज़रायल की सबसे महत्त्वपूर्ण मांग बनी हुई है।