देशभर में पिछले कुछ हफ्तों से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट ने किसानों और ग्रामीण मजदूरों दोनों को कुछ राहत दी है। थोक और खुदरा बाजारों में दाल, सब्जियों, तेल और अनाज जैसी आवश्यक वस्तुओं के दामों में धीरे-धीरे कमी दर्ज की गई है। इससे आम उपभोक्ताओं के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले महीनों में लगातार बढ़ती महंगाई ने ग्रामीण परिवारों की क्रय शक्ति पर गहरा असर डाला था। हालांकि, अब कीमतों में नरमी आने से उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है और किसानों को भी उत्पादन लागत में कमी का फायदा मिल सकता है।
खाद्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में खाद्य वस्तुओं की दरें 2.3 प्रतिशत तक घटी हैं। वहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में भी खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 5.2 प्रतिशत पर आ गई है, जो पिछले महीने 6.1 प्रतिशत थी।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के अच्छे असर और नई फसल आने की उम्मीद से बाजार में आपूर्ति बढ़ी है, जिससे दामों में यह गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में त्योहारों के सीजन और ट्रांसपोर्ट लागत में बढ़ोतरी के चलते फिर से हल्की बढ़ोतरी संभव है।