नई दिल्ली / गुवाहाटी — अगले साल की विधानसभा चुनावों से पहले भी Assam राज्य में विशेष रूप से वोटर रॉल (मतदाता सूची) के लिए चलने वाले “SIR” अभियान में शामिल नहीं किया गया है। आइए समझें कि ऐसा क्यों है, इस प्रक्रिया का क्या महत्व है और इससे क्या-क्या असर हो सकते हैं।
EC ने बताया कि असम में नागरिकता से संबंधित नियम पूरे देश से अलग हैं खासकर Citizenship Act, 1955 की धारा 6A लागू है। असम में NRC एवं नागरिकता-पंजीकरण-प्रक्रिया पहले से चल रही है। EC का कहना है कि इस पृष्ठभूमि के कारण SIR को सामान्य स्वरूप में नहीं लगाया जा सकता।EC ने स्पष्ट किया है कि असम के लिए “अलग आदेश” जारी होंगे और SIR अभियान राज्य-विशेष रूप में करेंगे।
SIR दूसरे चरण की शुरुआत 4 नवंबर 2025 से होगी। असम के लिए अभी तिथि सार्वजनिक नहीं हुई है; लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल 2026 के लिए तैयारियाँ जारी हैं।
परदर्शिता-वोटर-विश्वास वोटर सूची सही तरह से तैयार न होने से चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा कमजोर हो सकता है।नागरिकता‐वोटर विवाद असम में पहले से नागरिकता-विवादों का इतिहास है, इसलिए वोटर-सूची-सुधार को संवेदनशील मामला माना जा रहा है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप SIR लागू या न लागू होने से विपक्ष द्वारा “मतदाता छंटनी” या “वोटर पर्चियों का दुरुपयोग” जैसे आरोप लग सकते हैं।इकाई-तैयारी का असर चुनाव के लिए संसाधन, बूथ-स्तर का काम, नवीन पंजीकरण आदि पे असर पड़ सकता है।
असम में SIR इसलिए नहीं हो रहा कि वहाँ की स्थिति बाकी राज्यों से अलग है ,नागरिकता-पंजीकरण और वोटर-सूची-प्रक्रिया पहले से विशेष है। EC ने पहले ही कहा है कि असम के लिए अलग व्यवस्था होगी।यह मामला आगामी विधानसभा चुनाव के प्रकाश में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
