अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 8 मुस्लिम देशों के नेताओं के साथ होने वाली मुलाकात गाजा मुद्दे पर केंद्रित है। इस मुलाकात का उद्देश्य मुस्लिम देशों को सैन्य संगठन बनाने से रोकना और इजरायल के खिलाफ एकजुट होने से रोकना है। विदेश मामलों के जानकारों के ट्रंप का मुख्य मकसद मुस्लिमों देशों को भरोसा दिलाना होगा ताकि वे मिलकर किसी भी तरह के सैन्य संगठन को बनाने में जल्दबाज़ी ना करें।
इजरायल के फिलिस्तीन के बाद लेबनान, ईरान और फिर कतर पर हमले के बाद से मुस्लिम देशों की चिंता बढ़ी है और वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। ये देश मिलकर अपना सैन्य संगठन बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 8 अरब और मुस्लिम देशों के नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे। यूएन महासभा के इतर होने वाली इस मुलाकात के क्या मायने हैं और क्या ये भारत के लिए चुनौती बन सकती है? ट्रंप पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, जॉर्डन, मिस्र, तुर्किए, इंडोनेशिया के नेताओं से मुलाकात करेंगे।
भारत को सीधे इस मीटिंग से कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन पाकिस्तान के लगातार इस तरह की मीटिंग और अलायंस की कोशिश में शामिल होना चिंता का विषय हो सकता है। पाकिस्तान ने न केवल मुस्लिम देशों की 14 सितंबर को हुई इमरजेंसी शिखर वार्ता में शिरकत की बल्कि उसके बाद सऊदी अरब के साथ मिलिट्री अग्रीमेंट भी किया है।
ट्रंप जब इन आठ देशों के नेताओं से मिलेंगे तो पाकिस्तान भी शामिल होगा। पाकिस्तान का मुस्लिम देशों से लगातार बढ़ता जुड़ाव और मिलिट्री अलायंस बनाने की कोशिश पर भारत को नजर रखनी होगी.